फ्रायड का मनोलैंगिक विकास सिद्धांत (Freud Psychosexual Theory and stages)
फ्रायड ने अपने इस सिद्धात में काम प्रवृति को विकास का महत्वपूर्ण अंग माना , इसके लिए फ्रायड ने मनोलैंगिक विकास का सिद्धांत दिया |
लिबिड़ो (Libido)
लिबिड़ो काम शक्तियों को कहते है जिसमे सुख की अनुभूति होती है |
सिगमंड फ्रायड में अपने सिद्धांत में प्रेम , स्नेह व काम प्रवृति को लिबिड़ो कहा |
सिगमंड फ्रायड के अनुसार यह एक स्वाभाविक प्रवृति है जिसका पूर्ण होना आवश्यक है , यदि इन प्रवृतियों को दबाया जाता है तो व्यक्ति कुसमायोजित हो जाता है |
सिगमंड फ्रायड की मनोलैंगिक विकास की अवस्थाये
( Stages of Psychosexual Development)
1. मुखावस्था (oral Stage) – जन्म से 1 वर्ष
2. गुदावस्था (Anal Stage)- 1 से 2 वर्ष
3. लिंग प्रधानावस्था (Phalic Stage) – 2 से 5 वर्ष
4.अव्यक्तावस्था (latency Stage) -6 से 12 वर्ष
5. जननेंद्रियावस्था (Gentle Stage) 12 वर्ष के बाद
1. मुखावस्था (oral Stage) – जन्म से 1 वर्ष
ये मनोलैंगिक विकास की पहली अवस्था है |1 वर्ष से कम आयु के बच्चे इस अवस्था में होते है | इस अवस्था में लिबिड़ो क्षेत्र “मुख” होता है ,जिसके परिणाम स्वरूप बालक में मुख से करने वाली क्रियाओ में आनंद की अनुभूति होती है जैसे काटना ,चुसना ,|
इस अवस्था में व्यक्ति में दो तरह के व्यक्तित्व विकसित होते है |
1. मुखवर्ती निष्क्रिय व्यक्तित्व (Oral Passive Personality) – आशावादिता ,विश्वास का गुण
2. मुखवर्ती /अनुवर्ती आक्रामक व्यक्तित्व (Oral Aggressive Personality) – शोषण ,प्रभुत्व, दुसरो को पीड़ा देना आदि गुण पाए जाते है |
फ्रायड ने ध्रूमपान की आदत को लिबिड़ो की अल्प संतुष्टि माना है |
2. गुदावस्था (Anal Stage)- 1 से 2 वर्ष
ये मनोलैंगिक विकास की दूसरी अवस्था है इसमें कामुकता का क्षेत्र मुख की जगह “गुदा” होता है , जिसके कारण बच्चे मल-मूत्र त्यागने और उन्हें रोकने में आन्नद की अनुभूति करते है | इसी अवस्था में बालक प्रथम बार अंतद्वंद की अनुभूति करता है |
3. लिंग प्रधानावस्था (Phalic Stage) – 2 से 5 वर्ष
ये मनोलैंगिक विकास की तीसरी अवस्था है इसमें लिबिड़ो का स्थान “जननेंद्रिय” होता है |
इस अवस्था में लड़के में “मातृ प्रेम” की उत्पति व लडकियों में “पितृ प्रेम” की उत्पति होती है | जिसका कारण फ्रायड ने लडको में “मातृ मनोग्रंथि (Oedipus Complex) ” तथा लडकियों में ” पितृ मनोग्रंथि (Electra Complex)” को बताया है |
“मातृ मनोग्रंथि (Oedipus Complex) “ के कारण लडको से अचेतन मन में अपनी माता के लिए लैंगिक प्रेम की इच्छा होती है जबकि ” पितृ मनोग्रंथि (Electra Complex)” के कारण लडकियों में अपने पिता की लिए लैंगिक आकर्षण उत्पन्न होने लगता है |
4.अव्यक्तावस्था (latency Stage) -6 से 12 वर्ष
ये मनोलैंगिक विकास की चौथी अवस्था है इसमें लिबिड़ो का क्षेत्र अदृश्य हो जाता है | ये प्रत्यक्ष नही होता है लेकिन माना जाता है की वह सामाजिक कार्यो और हमउम्र के बच्चो के साथ खेल कर अदृश्य लिबिड़ो को संतुष्टि प्राप्त करते है |
5. जननेंद्रियावस्था (Gental Stage) 12 वर्ष के बाद
ये मनोलैंगिक विकास की चौथी अवस्था है ये 12 वर्ष के बाद निरंतर चलती है | इसमें हार्मोन्स का निर्माण होने लगता है जिसके कारण से इस अवस्था में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होने लगता है | ये आकर्षण बहुत ही तीव्र होते है |
स्वमोह (नर्सिसिज्म)
फ्रायड के अनुसार जब बालक शैशव अवस्था में होता है तो अपने रूप पर मोहित हो जाता है और अपने आप से प्रेम करने लग जाता है |
इस प्रकार स्वमोह/आत्म प्रेम को फ्रायड ने “नर्सिसिज्म ” शब्द दिया |
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