January 12, 2025

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शब्द रूपांतरण किसे कहते है ?

शब्द रूपांतरण अर्थ और उसके प्रकार 

संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण एवं क्रिया विकारी शब्द कहलाते हैं। प्रयोग के अनुसार इनमें परिवर्तन होता रहता है। विकार उत्पन्न करने वाले कारक तत्व जिनसे शब्द के रूप में परिवर्तन होता हैं, वे इस प्रकार हैं-

शब्द रूपांतरण

 

लिंग

लिंग शब्द का अर्थ होता है चिह्न या पहचान। व्याकरण के अंतर्गत लिंग उसे कहते हैं जिसके द्वारा किसी विकारी शब्द के स्त्री या पुरूष जाति का होने का बोध होता है।

हिंदी भाषा में लिंग दो प्रकार के होते हैं-

(1) पुल्लिंग-

जिससे विकारी शब्द को पुरूष जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं, जैसे- मेरा, काला, जाता, भाई, रमेश, अध्यापक आदि।

(2)स्त्रीलिंग-

जिससे विकारी शब्द के स्त्री जाति का बोध होता हैं, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं, जैसे-मेरी, काली, जाती, बहिन, विमला, अध्यापिका आदि।

लिंग की पहचान के नियम- लिंग की पहचान शब्दों के व्यवहार से होती है। कुछ शब्द सदा पुल्लिंग रहते हैं तो कुछ सदैव स्त्रीलिंग ही रहते हैं, जैसे-
(1) दिनों एवं महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे-सोमवार, चैत्र, अगस्त आदि।

(2) पर्वतों एवं पेडों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे-हिमालय, अरावली, बबूल, नीम, आम आदि।

(3) अनाजों एवं कुछ द्रव्य पदार्थों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे-चावल, गेहूंॅ, तेल, घी, दूध आदि।

(4) ग्रहों एवं रत्नों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे-सूर्य, चंद्र, पन्ना, हीरा, मोती आदि।

(5) अंगों के नाम, देवताओं के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे-कान, हाथ, सिर, इन्द्र वरूण, पैर आदि।

(6) कुछ धातुओं के एवं समयसूचक नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे-सोने, लोहा, तांॅबा, क्षण, घंटा आदि।

(7) भाषाओं एवं लिपियों का नाम स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे-हिंदी, उर्दू, जापानी, देवनागरी, अरबी, गुरूमुखी, पंजाबी आदि।

(8) नदियों एवं तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे-गंगा, यमुना, प्रथमा, पंचमी आदि।

(9) लताओं के नाम स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे-अमरबेल आदि।

लिंग परिवर्तन-पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के  नियम इस प्रकार हैं

(1) शब्दांत ’अ’ को ’आ’ में बदलकर-

छात्र-छात्रापूज्य-पूज्यासुत-सुता
वृद्ध-वृद्धाभवदीय-भवदीयाअनुज-अनुजा

(2) शब्द के अंत में ’अ’ को ’ई’ में बदलकर-

देव – देवी पुत्र-पुत्रीगोप-गोपी
ब्राह्मण-ब्राह्मणीमेंढक-मेंढकीदास-दासी

(3) शब्द के अंत में ’आ’ को ’ई’ में बदलकर-

नाना-नानीलड़का-लड़कीघोडा-घोड़ी
मामा – मामीदादा-दादीपोता-पोती

(4) शब्द के अंत में ’आ’ को ’इया’ में बदलकर-

गुड्डा-गुडियाडब्बा-डिबियाकुता-कुतिया
बेटा-बिटियालोटा-लुटियाचूहा-चुहिया

(5) शब्द के अंत में प्रत्यय ’अक’ को ’इका’ में बदलकर-

बालक-बालिकापाठक-पाठिकागायक-गायिका
लेखक-लेखिकानायक-नायिकानर्तक-नर्तिका

(6) शब्द के अंत में’आनी’ प्रत्यय लगाकर-

देवर-देवरानीजेठ- जेठानीसेठ -सेठानी
भव-भवानी चौधरी-चौधरानी

(7)शब्द के अंत में ’नी’ प्रत्यय लगाकर-

शेर-शेरनीमोर -मोरनीभील-भीलनी
हाथी-हथनीऊंट-ऊंटनीजाट-जाटनी

(8) शब्द के अंत में ’ई’ के स्थान पर ’इनी’ लगाकर-

तपस्वी-तपस्विनीस्वामी-स्वामिनी

(9) शब्द के अंत में ’इन’ प्रत्यय लगाकर-

कुम्हार-कुम्हारिनसुनार-सुनारिननाई-नाइन
चमार-चमारिनमाली-मालिनधोबी-धोबिन

(10) शब्द के अंत में ’आइन’ प्रत्यय लगाकर-

ठाकुर-ठकुराइनमंुशी-मुंशियाइनचौधरी-चौधराइन

(11) शब्द के अंत में ’वान्’ के स्थान पर ’वती’ लगाकर-

पुत्रवान-पुत्रवतीभाग्यवान-भाग्यवतीसत्यवान-सत्यवती
गुणवान-गुणवतीगुणवान-गुणवतीबलवान-बलवती

(12) शब्द के अंत में ’मान’ के स्थान पर ’मती’ लगाकर-

श्रीमान-श्रीमतीबुद्धिमान-बुद्धिमतीआयुषमान-आयुष्मती

(13) शब्द के अंत में ’ता’ के स्थान पर ’त्री’ लगाकर-

नेता-नेत्रीकर्ता-कत्र्रीदाता-दात्री
अभिनेता-अभिनेत्री

(14) शब्द के पूर्व में ’मादा’ शब्द लगाकर-

भालू-मादा भालूखरगोश-मादा खरगोशभेडिया-मादा भेदिया

(15) भिन्न रूप वाले कतिपय शब्द-

कवि-कवयित्रीसाधु-साध्वीपुरूष-स्त्री
वर-वधूदूल्हा-दूल्हनभाई-भाभी
विद्वान-विदुषीनर-नारीबादशाह-बेगम
वीर-वीरांगनाबैल-गाययुवक-युवती
मर्द-औरतराजा-रानीससुर-सास
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