पद-परिचय का अर्थ
एक स्वतंत्र शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त होता है तब पद कहलाता है और वाक्य में उस शब्द की सभी भूमिकाओं का परिचय देना ही पद-परिचय कहलाता है।
परिभाषा- पद वाक्य में प्रुयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द पद कहलाता है।
पद-परिचय – वाक्य में प्रयुक्त शब्द के भेद, उपभेद, लिंग, वचन, कारक आदि के परिचय के साथ ही वाक्य में प्रयुक्त अन्य पदों के साथ उसके संबंध का भी उल्लेख किया जाता है।
पद परिचय के अंतर्गत वाक्य में प्रयुक्त पदों को अलग करके प्रत्येक पद का परिचय दिया जाता है तथा उसकी व्याकरणिक विशेषताएंॅ और कार्य बताए जाते है।
पद-परिचय के प्रकार
1 संज्ञा शब्द का पद परिचय-
संज्ञा शब्द के पद परिचय के लिए संज्ञा का भेद, लिंग, वचन कारक तथा उस शब्द के क्रिया से संबंध को व्यक्त किया जाता है।
वाक्य-राजेश ने रमेश को पुस्तक दी।
राजेश-संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ’ने’ के साथ कर्ता कारक, ’दी’ क्रिया का कर्ता।
रजेश-संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ’दी’ क्रिया का कर्म, ’को’ के साथ कर्म कारक।
पुस्तक-संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक।
वाक्य-नेपाल चीन से हथियार लेता है।
नेपाल-संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
चीन-संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, अपादान कारक।
हथियार-संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्म कारक।
2 सर्वनाम शब्द का पद परिचय-
सर्वनाम शब्द के पद परिचय के लिए सर्वनाम का भेद, लिंग, वचन, कारक, क्रिया के साथ संबंध तथा पुरूष पर विचार किया जाएगा, जैसे-
मैं तुम्हारे साथ चलता हंॅू
मैं-उतम पुरूष, सर्वनाम, पुरूषवाचक, पुल्लिंग, एक वचन, चलता हूं क्रिया का कर्ता कारक।
यह वही कार है
यह-सर्वनाम, निश्चयवाचक, अन्य पुरूष, स्त्रीलिंग, एकवचन।
3 विशेषण शब्द का पद परिचय-
विशेषण शब्द के पद-परिचय हेतु विशेषण का प्रकार, अवस्था, लिंग, वचन व विशेष्य के साथ उसके संबंध आदि का वर्णन किया जाता है।
जैसे-हमारे वीर सैनिकों ने सब दुश्मनों का नाश कर दिया।
वीर-विशेषण, गुणवाचक, मूलावस्था, पुल्लिंग, बहुवचन, ’सैनिकों’ विशेष्य का गुण व्यक्त करता है।
सब-विशेषण, संख्यावाचक, मूलावस्था, पुल्लिंग, बहुवचन, ’दुश्मनों’ विशेष्य की संख्या का बोध कराता है।
– यह सपेरा बहुत चतुर है।
यह- विशेषण, सार्वनामिक, पुल्लिंग, एकवचन, ’सपेरा’ संज्ञा की विशेषता।
चतुर- विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग एक वचन, सपेरा, विशेष्य का विशेषण।
4 क्रिया शब्द का पद परिचय-
क्रिया शब्द के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, लिंग, वचन, वाक्य, काल तथा वाक्य मे ंप्रयुक्त अन्य शब्दों के साथ संबंध को बतलाया जाता है।
जैसे-राम ने रावण को मारा।
मारा-क्रिया का कर्ता राम तथा कर्म रावण।
– सवेरे मैं उठा।
उठा-क्रिया, अकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। उठा क्रिया का कर्ता मैं।
5 अव्यय शब्द का पद परिचय-
अव्यय शब्द चूंकि लिंग, वचन, कारक आदि से प्रभावित नहीं होता अतः इनके पद परिचय में केवल अव्यय शब्द के प्रकार, उसकी विशेषता या संबंध ही बताया जाता है।
(अ) क्रियाविशेषण शब्द का पद परिचय-भेद तथा क्रिया की जानकारी। जैसे-
-श्याम वहांॅ गिरा था।
-वहांॅ-क्रियाविशेषण स्थानवाचक, ’गिरा था’ क्रिया का स्थान निर्देश।
-मैं रोज ससेरे प्राणायाम करता हंूॅ।
रोज-क्रियाविशेषण, काल वाचक, प्राणायाम क्रिया का समय बताकर उसकी विशेषता प्रकट कर रहा है।
(ब)समुच्चयबोधक शब्द का पद परिचय-भेद तथा जिन दो शब्दों को मिला रहा है उसका उल्लेख होगा। जैसे-
सीता और गिता बहिनें हैं।
-’और’ समानाधिकरण समुच्चयबोधक में संयोजक अव्यय।
(स)संबंधबोधक शब्द का पद परिचय-भेद तथा जिससे संबंध है उस संज्ञा या सर्वनाम का उल्लेख जैसे-
-टेन समय से पहले आ गई।
– ’से पहले’ -कालवाचक अव्यय ’टेªन’ संज्ञा के समय विशेषता।
(द)विस्मयादिबोधक शब्द का पद परिचय-भेद या भाव का नाम। जैसे-
वाह! कितना सुंदर है!
वाह! हर्ष सूचक विस्मयादि बोधक अव्यय।
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