काल किसे कहते है ?
काल का अर्थ है ’समय’। क्रिया के जिस रूप से उसके होने का समय मालूम हो, उसे ’काल’ कहते है। काल के इस रूप से क्रिया की पूर्णता, अपूर्णता के साथ ही संपन्न होने के समय का बोध होता है।
काल के तीन भेद हैं–
– भूतकाल
– वर्तमान काल
– भविष्यत् काल
1.भूतकाल-
भूतकाल का अर्थ है बीता हुआ समय। वाक्य में जिस क्रिया रूप से बीते समय का होना पाया जाता है वह भूतकाल कहलाता है। यह क्रिया की समाप्ति बतलानेवाला रूप होता है।
भूतकाल के भेद
सामान्य – भावेश ने खाना खा लिया । गाडी जा चुकी थी।
संदिग्ध – खाना सुनीता ने ही बनाया होगा।
हेतुहेतुमद – तुम थोडा और पढ़ते तो प्रथम श्रेणी में आ जाते ।
आसन्न – गाँव में मेला लगा था । अविनाश ने गाना गाया है।
पूर्ण – 1857 की क्रान्ति में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लिया था।
अपूर्ण – राकेश पुस्तक पढता था।
2.वर्तमान काल-
क्रिया का वह रूप जिससे कार्य का वर्तमान समय में होना पाया जाए, उसे वर्तमान काल कहते है। यह कार्य निंरतर हो रहा है, की जानकारी देता है, जैसे-
सामान्य – दिव्यांश खेल रहा है।
– प्रदीप गीता गा रही है।
सम्भाव्य – मोहन नाच रहा होगा।
आज्ञार्थ – तुम यह पाठ पढों।
– अब मैं जाऊ ?
3.भविष्यत् काल-
क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञाता होता है कि कार्य आने वाले समय में संपन्न होगा, उसे भविष्यत् काल कहते हैं, जैस-
सामान्य – कृष्णा लेख लिखेगी।
– विकाश गाँव जायेगा ।
– लडके खेलेगे।
– औरतें गीत गाएँगी ।
सम्भाव्य – वे शायद घर जाएंॅ।
आज्ञार्थ – अब तुमको जाना ही होगा।
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